गजल-३३०
नै रहल किछु मोल सतकेँ फूसि बाजी जीत गेल
यौ कहू ने कोन खातिर छल्ह गांधी बीत गेल
यौ कहू ने कोन खातिर छल्ह गांधी बीत गेल
अछि उताहुल लोक तत जे सोह नै थिक सत्तकेर
के कहत जे भाइ सम्हरू घर दुआरिक भीत गेल
के कहत जे भाइ सम्हरू घर दुआरिक भीत गेल
छल बहादुर लाल शास्त्री जाहि देशक कर्णधार
ताहि देशक माटि पर पुरषार्थ लोकक तीत गेल
ताहि देशक माटि पर पुरषार्थ लोकक तीत गेल
मान बेचल शान हारल कर्म चालिक बात कोन
आइ देखू सभ बिसरि माँ भारतीकेँ गीत गेल
आइ देखू सभ बिसरि माँ भारतीकेँ गीत गेल
बहि रहल राजीव शोणित देहमे सभकेँ वएह
तैँ उठू आ भाइ सोचू कोन बैबे थीत गेल
तैँ उठू आ भाइ सोचू कोन बैबे थीत गेल
२१२२ २१२२ २१२२ २१२१
®राजीव रंजन मिश्र
®राजीव रंजन मिश्र
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