गजल-३३७
हियक चाकरी कसि कँ मारैछ जान यौ
उधारक हँसी कसि कँ मारैछ जान यौ
उधारक हँसी कसि कँ मारैछ जान यौ
मिथाकेँ घरे घर सिनेहक बियौँत टा
निछोहे तँ ई कसि कँ मारैछ जान यौ
निछोहे तँ ई कसि कँ मारैछ जान यौ
बचाबथि प्रभू जे जगतकेर लोककेँ
तिनक दुसमनी कसि कँ मारैछ जान यौ
तिनक दुसमनी कसि कँ मारैछ जान यौ
जरूरी अबस बेस फरहर मिजाज धरि
कने धरफरी कसि कँ मारैछ जान यौ
कने धरफरी कसि कँ मारैछ जान यौ
निमाहत कथी लोक राजीव आबकेँ
बुढ़ारी बड़ी कसि कँ मारैछ जान यौ
बुढ़ारी बड़ी कसि कँ मारैछ जान यौ
१२२ १२२१ २२१ २१२
®राजीव रंजन मिश्र
®राजीव रंजन मिश्र
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