Monday, October 27, 2014

गजल-३४५

समस्त मुखपोथिया परिवार, सखा बंधु, जेठ -श्रेष्ठकेँ धन्वंतरि त्रयोदशी अशेष मंगलकामना :

बरतन वासन आ खरिहान कीन लेब
काजक हे सभटा सामान कीन लेब

रोकत ककरा के आ काज कोन छैक
अपना लै सभटा दिअमान कीन लेब

अपने खातिर ई दुनिया बताह भेल
आहाँ सेहो गगनक चान कीन लेब

धनवंतरिकेँ आसिरवाद संग हौक
सुख दुख रहितो जन कल्याण कीन लेब

अपरुप लछमी संगे सरस्वतीक मेल
से बुझि गेने टा भगवान कीन लेब

छी राजीवक नेहौरा यैह टा समांग
यौ धनतेरस पर किछु ज्ञान कीन लेब

२२२२ २२२१ २१२१
®राजीव रंजन मिश्र

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