Monday, October 27, 2014

गजल - ३४६

दिवाली किछु एहन मनाबी हम सभ
विचारक ई दूरी मिटाबी हम सभ

चलू ने अन्हारक भगा दी शासन
विवेकक औ डिबिया जराबी हम सभ

जमानामे कतबो किए ने काँटे
गुलाबक फुलबारी सजाबी हम सभ

समय पर पूरय छै मनोरथ मोनक
सिनेहक टा गाछी लगाबी हम सभ

बहुत दिन बीतल हाथ की जे लागल
अमरखे नै जीवन गमाबी हम सभ

बनौलक जे राजीव दीया बाती
तकर किछु सेहंता पुराबी हम सभ

१२२ २२२ १२२ २२
®राजीव रंजन मिश्र

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