Wednesday, October 8, 2014

कोजगरा पर विशेष :
गजल-३३६ 

रूप हुनक अपरुप सोहनगर मखान सन
लागि रहल अनमन कोजगराक चान सन

केश सघन कारीकेँ करतै बखान की
नाचि रहल बलखा खा नागिन उतान सन

बोल मधुर मिठगर जनि पिपही बजैत हो
चालि जेना हिरनीकेँ निश्छल कुदान सन

नेहक से धाही नै सम्हरल सम्हारने
धार उफनि रहलै जनि कमला बलान सन

हैत गठल कायाकेँ परतर अनेर नै
गाम घरक चकचक ओ आंगन दलान सन

तीर एना चलबथि ओ राजीव नैनकेँ
डोलय सेहन्ते ई छाती मचान सन

२११२ २२ २२२१ २१२
®राजीव रंजन मिश्र

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