गजल-३४९
देवी जे नेहक दानी सन
भेटत के जगमे नानी सन
भेटत के जगमे नानी सन
मोनक निर्मल नेहक निश्छल
अपरुप छवि झकझक चानी सन
अपरुप छवि झकझक चानी सन
संज्ञानी आ त्यागक मुरती
व्यवहारो अजगुत ज्ञानी सन
व्यवहारो अजगुत ज्ञानी सन
घर संतानक भरले पुरले
भागो जनि अनमन रानी सन
भागो जनि अनमन रानी सन
राजीवक लै गप नानीकेँ
सभदिनका छी ऋषि वाणी सन
सभदिनका छी ऋषि वाणी सन
२२२ २२ २२२
®राजीव रंजन मिश्र
®राजीव रंजन मिश्र
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