गजल-३४७
दिआ बाती पर विशेष:
दिआ बाती पर विशेष:
बिसरल गाम पर दू टा दीप जरा लेब
काजक ठाम पर दू टा दीप जरा लेब
काजक ठाम पर दू टा दीप जरा लेब
सीमा पर सिपाही जे जान अपन देल
तै गुलफाम पर दू टा दीप जरा लेब
चलि गेलाह जे लोकक खातिर दुनियाँसँ
तिनका नाम पर दू टा दीप जरा लेब
सभटा कष्ट छी लोकक मूँहे टा लेल
जीहक चाम पर दू टा दीप जरा लेब
तै गुलफाम पर दू टा दीप जरा लेब
चलि गेलाह जे लोकक खातिर दुनियाँसँ
तिनका नाम पर दू टा दीप जरा लेब
सभटा कष्ट छी लोकक मूँहे टा लेल
जीहक चाम पर दू टा दीप जरा लेब
टटका आइ जे सेहो पुरना जेतै ग'
बुढ़बा भाम पर दू टा दीप जरा लेब
बुढ़बा भाम पर दू टा दीप जरा लेब
हाँ राजीव बनि परने माय पिताजीक
पैरक धाम पर दू टा दीप जरा लेब
पैरक धाम पर दू टा दीप जरा लेब
२२२१२ २२२१ १२२१
®राजीव रंजन मिश्र
®राजीव रंजन मिश्र
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