Monday, October 27, 2014

गजल-३३८

कतेक रास गप्प छै हिसाब एक टाक नै
सवाल एक लाख धरि जवाब एक टाक नै

सिनेह बाट पर चलल जतेक लोक आइ धरि
समाज संग देख ली बनाब एक टाक नै

नुका छिपीक खेल देख मोन तंग लोककेँ
सही हिसाबमे तँ रख रखाब एक टाक नै

किताब लीखि चारि टा कहत गुनी विशेष छी
हटत वयन परक मुदा नकाब एक टाक नै

कथी कहू विशेष बात तंग मोन राजिवक
मिठास बोल चालिमे जनाब एक टाक नै

१२१ २१ २१२ १२१ २१ २१२
®राजीव रंजन मिश्र

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