Friday, September 26, 2014

गजल-३२४ 

बड़की टाक धाप छैक
मोनक बड उताप छैक 

बूढ़ा छथि उनार भेल
बेटा भेल बाप छैक 

नीकक संग द्वंद केर
घुट्ठी धरि मिलाप छैक 

बचि कँ रहब महानुभाव
माहौले खराप छैक 

छी राजीव बूझि गेल
अहियो ठाम खाप छैक 

२२२ १२१ २१
©राजीव रंजन मिश्र

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