Sunday, August 3, 2014

भक्ति गजल-१५ 

गोबरधन फेर उठाउ अहाँ 
पति राखनहार कहाउ अहाँ 

हे माधव दीन दयाल प्रभू 
तिरहूतकेँ आइ बचाउ अहाँ 

दोसर नै आस भरोस कुनो 
कहुना संताप मिटाउ अहाँ 

नै बाँचत माल जजात मनुख 
किछु अपने चक्र चलाउ अहाँ 

जनगण राजीव गुहारि रहल 
हे हरि उग्रास कराउ अहाँ 

२२२२१ १२११२ 
@  राजीव रंजन मिश्र 

No comments:

Post a Comment