Thursday, August 28, 2014

गजल-३०३ 

हुनक हँसनाइ जनि चूड़ी खनकि उठलै
कतहुँ खड़िहानमे कोयल कुहकि उठलै

हिया हरषल सुनल जे बोल ओ मिठगर
हुलासे मोन आ गत्तर फरकि उठलै

गठल काया कमल कचनाड़ सन तन्नुक
अंगैठी मोऱमे अंगिया मसकि उठलै

झलक बस एक टा ओ रूपकेँ पबिते
अमावस रातिमे चन्ना चमकि उठलै 

जही बाटे निकलि राजीव ओ गेलथि 
सुवासे बाट ओ महमह गमकि उठलै 

1222 1222 1222
@ राजीव रंजन मिश्र 

Wednesday, August 27, 2014

गजल-३०१ 

लाखोँ करोड़ो मैथिल ऐ ठाम बसि रहल अछि 
माँ मैथिली लाजे मुदा पाताल धसि रहल 

हेरेलऔं सभ लीपिकेँ भाषा बिसरि चलल छी 
संस्कारकेँ डेंगी लचरि मझधार भसि रहल अछि 

की आब केँ बाजब कथी माथा उठैब कोना 
सभटा धरोहरकेँ हयौ देवाल खसि रहल अछि

साहित्यकेँ किछु मोल नै सभ्यताक भान नै किछु 
सभकेँ सगर गौरवक गहुँमन साँप डसि रहल अछि 

थिक ठाढ़ मिथिला-मैथिली राजीव चौक परमे 
मैथिल मुदा बस नाम खातिर डाँर कसि रहल अछि 

२२१२ २२१२ २२१२ १२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 
गजल-३०२ 

कहबाक लेल विद्वान छथि ओ
जनताक लेल धरि चान छथि ओ 

की चालि ढालि अनका सिखौता 
बस नामकेर गुणवान छथि ओ 

बनता नवाब छटताह इंग्लिश 
जनि सेक्शपीयरक शान छथि ओ 

सुकुमारि नारि देखल कि बाबू 
सभटा बिसरि कँ कुर्बान छथि ओ 

अनपढ़ गँवार राजीव जगती 
गुन ज्ञान केर खरिहान छथि ओ 

२२१ २१ २२१ २२   
@ राजीव रंजन मिश्र 

Tuesday, August 26, 2014

गजल-३०३  

बरद छल तँ ह'र ने छल
मुदा किछु कुग'र ने छल

बड़ी कष्ट रहितो धरि
मनुख भेल त'र ने छल 

उचित बात कहबामे
धरेबाक ड'र ने छल 

तते भाइचारा जे
झगरबाक ग'र ने छल 

मनुख छल मनुख सनकेँ
मनुखकेर झर ने छल 

बिना दिव्य संस्कारक
तँ राजीव घ'र ने छल 

१२२ १२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

Sunday, August 24, 2014

गजल-३०० 
समस्त मीत,बंधू-बान्धव,सखा-सिनेही,जेठ-श्रेष्ठ,हित-अपेक्षित आ सभसँ बेसी भगवानक असीम अनुकम्पाक बले आई अपने सभ लोकनिक समक्ष प्रेषित कए रहल छी ई ३००ऍम गजल। ओना कहबाक बात टा थिक,संख्याँ कोनो विशेष माने नै राखैत छैक तहँन हाँ संख्याँ किछु नै थिक सेहो गप्प नै,तैं कनी उत्साहित आ भावुक अबस छी मुदा ई उत्साह ऐ मुखपोथिया परिवारक बदौलत,मुखपोथिया गुनी-ज्ञानी जनक सिनेहक बले आ भावुक ऐ लेल जे नेनपनेसँ जखन सारगर्भित आ शांत मधुर संगीत दिस रूचि छल तँ अभिभावक विशेषकँ हमर माए(जिनका चलिते हम जे किछु टा छी से छी) बड चिंतित रहैत छलीह आ हाँटन-डाँटन प्रयोजन हिसाबे मारि-धारि आ तोड़-फोड़(रेडिओ-टेपकें) धरि करए छलीह मुदा हमरा तँ जोह लागि गेल छल। जीवन अबाध रूपें चलैत रहल आ दैनिक दिन चरजाक क्रममे घुरि कँ तकबाक पलखैत नै भेटल मुदा मोनक जे भाव छल से कागद पर नित अनवरत रूपें उतरैत रहल ओना बड कम्मकेँ सहेज कँ राखि सकलहुँ। ऐ ठाम एक गोट गप कहब बड्ड जरूरी बुझना जा रहल अछि जे हमर जन्मे टा गाममे भेल अछि,पालन-पोषण आ पढ़ाइ -लिखाइ सभटा कोलकाताक उपनगरीय क्षेत्रमे,गाम आन-जान नेनपनसँ लागल रहल आ आइ धरि माटि पानिसँ जुरल आ जुरैल छी। मिथिला मैथिली सभदिनसँ आकर्षित आ आनंदित कैलक तकर प्रमुख कारन रहल प्रवासी रहितो हम सभ जेना गामेमे रहलहुँ,स्थान थिक कोलकाताक बेलुर जाहि ठाम आइकें दिन धतपत दसेक हजार मैथिल बसोबास कए रहल छथि,अस्सीक दसकसँ "मिथिला सेवा समिति" छल जे आइ धरि अछि आ मैथिल जन-गनकेँ मिथिला-मैथिलीक बोध करबैत रहल अछि।
उल्लेख करबाक प्रमुख कारन जे यैह ओ माध्यम थिक जाहि मादे मिथिला विभूति सभक दर्शन नेनपनसँ होइत रहल आ ई अकिंचन मोन स्व. बाबू साहेब चौधरी जी,जयधारी सिंह "प्रभाकर"जी,अशर्फी झा "अमरेश"जी,डा० इला रानी सिंहजी,बुद्धिनाथ झा जी,रामलोचन ठाकुर जी,कामदेव झा जी,प्रवचनकर्ता आ भजन गौनिहार स्व० रामनंदन मिश्र जी आ बौआ हनुमान(जरैल) सनक मैथिल विभूति सभक दर्शन कए तिरपित आ आलोकित होइत रहल,हुनका सभकेँ हमर अशेष प्रणाम। 
हमर रचनाधर्मिताकेँ नव आयाम आ पाँखि देलक कंप्यूटर पर हिंदी टंकणक सुविधा आ तत्पश्चात जालवृत्ति पर विदेह समूहसँ जुरनाइ जाहि लेल हम हार्दिक आभारी छी अनुज आशीष अनचिन्हार आ "अनचिन्हार आखर"क जे कि नीक काज कैला आ कए रहल छथि मैथिली साहित्यक मादे,सत तँ सत होइ छैक जे हमर रचनाधर्मिताकेँ पाँखि लागल मुखपोथी आ अंतरजाल पर पसरल विदेह,मिथिलांचल,मैथिली पॉइंट ऑफ़ व्यू सरिस समस्त मिथिला-मैथिलीकेँ समर्पित समूह सभसँ। हम अंतरात्मासँ आभारी छी मुखपोथिया परिवारक आ पाठक वर्गक जाहिमेसँ किछु गोटेकेँ नाम नै लेने मोन नै मानत जेना कि भास्कर जी,चन्दन जी,ओमप्रकाश जी,पंकज चौधरी जी,आशीष जी,अमित मिश्र जी,जगदानन्द मनु जी,रुपेश जी,प्रकाश झा जी,शिव कुमार झा जी,अनिल मल्लिक जी,सुनील कुमार पवन जी,आदरनिया शेफालिका वर्मा जी,गुड्डो दादी जी,मृदुला प्रधान जी महाशया बिनीता झा जी,सारिका ठाकुर जी,निर्मला चौधरी जी,शांतिलक्ष्मी चौधरी जी,श्रीमान सत्यनारायण झा जी,जन आनंद मिश्र जी,विजय चन्द्र झा जी,मनोहर मिश्र जी,विमल मिश्र जी,धर्मनाथ झा जी,सतीरमन झा जी,राकेश कुमार निधि जी,कृष्णदेव झा जी,उपेन्द्र लाभ जी,मैथिल प्रशांत जी,अक्षय आनंद जी,शैलेश कुमार दास जी,गोपीरमन झा जी,बिनय कुमार जी,अशोक झा जी आ अनेकानेक बंधुगनक जिनक नाम गनाएब संभव नै जिनक उत्साहवर्धन आ बेर कुबेर सलाहक बले आइ हम ई दिन देखल। विशेष आभारी छी हमर स्थानीय चिर-परिचित आ वरिष्ठ साहित्यकार बिनयभूषण जीक जे कहियो हमरा प्रेरित कएने छलाह मैथिलीमे लिखबाक लेल आ हमर किछु हिंदी रचनाक मैथिली अनुवाद कए अपना पत्रिकामे छापने रहैत,वरिष्ठ रंगमंच अभिनेता,नाट्य निर्देशक आ साहित्य प्रेमी श्रीमान भवनाथ झा जीक,जिनका हम अपन पहिल मैथिली रचना प्रेषित कएने रही आ अइयो धरि हुनक संवर्धन भेटैत अछि,चंद्रमोहन जी आ रामकुमार मिश्र जीक सन किछु मीत-भजारक नाम नै लेने ई अंतरात्माक भाव सम्प्रेषण आधा-छिधा रहत किएक तँ ई सभ समय समय पर हमर लिखल-भाखल अनर्गल गप्प सभ सुनैत-सहैत रहैत छथि।
किछु सुधिगन नियमित रूपेँ हमर गजल सभकेँ साझा करैत रहलाह अछि अपना वाल पर,हुनक सभक हम हार्दिक आभारी छी।  
विशेष आभार श्रीमान गंगेश गुंजन जीक जनिक स्पष्वादिता आ मार्गदर्शन प्रभावित आ उत्साहित कएलक। 
बुझबाक आ सुनबाक लेल धनबाद कोटि कोटि
किछु सोचि बुझि गमबाक लेल धनबाद कोटि कोटि
नै जानि कोना चीर मोन आभार हम जताउ
भाखल हियक पढबाक लेल धनबाद कोटि कोटि 
साझा कए रहल छी अपन ब्लॉगकेँ लिंक :
आ प्रेषित कए रहल छी  ३००एम गजल:

कुदकब फानब भरि दिनका बड मोन परैए
बाल सुलभ ओ चंचलता बड मोन परैए

सभ छल अपना चीन्हल जानल टोल परोसक
द्वंद रहित ओ जीवन हा बड मोन परैए

भाइ टकाकेँ खगते की छल ताहि समयमे
धान भरल ओ जेबी टा बड मोन परैए

एक मिनट नै चेैनक खन भेटै छै ऐ ठाँ
कहाँ रहै किछु बेगरता बड मोन परैए

बैस निहारै टकटक छी राजीव गगनकेँ
आइ सखा गानब तारा बड मोन परैए

2112 2222 221 122
@ राजीव रंजन मिश्र 

Wednesday, August 20, 2014

गजल-२९९ 

अपनौतियोमे आब ओ मजलिस कहाँ रहलै
तकरा बना राखब सभक कोशिश कहाँ रहलै 

जकरा मनुखमे नेह आ मनुखत्वकेँ ज्ञानों
तकरा मनुख बूझत तकर बेसिस कहाँ रहलै 

कममे जते छल लोक खुश ततबे तकर उनटा
सभटा सुखक रहितो गठल चेसिस कहाँ रहलै 

मौसम बदलि जे गेल फेरो छलै घूरल
धरि लोक नै घुरलै तँ की खोंहिस कहाँ रहलै 

परिवार पाछू एक आधे टीक रखने अछि
राजीव सरिपहुँ सदगुणक वारिस कहाँ रहलै 

२२ १२२२ १२२२ १२२२
@ राजीव रंजन मिश्र 

Tuesday, August 19, 2014

गजल-२९८ 

करनी कथनी थीर अहाँकेँ 
तखने मानब वीर अहाँकेँ 

कहलक बड़ किछु ठाठ नवाबी 
ढेरी ढाकी भीड़ अहाँकेँ 

रहतै कत दिन ईद दिवाली 
कहतै फोरन जीर अहाँकेँ 

दैवा देने कोन कमी किछु 
तरकसमे सभ तीर अहाँकेँ 

बजनाहरकेँ कंठ सुखेलै 
चाही काजक नीर अहाँकेँ 

जे बाजी राजीव निमाही 
सप्पत किरिया धीर अहाँकेँ 

२२२२ २१ १२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 
भक्ति गजल-17
जन्माष्टमी पर विशेष:


जन्म लेला माधव कि गाबू बधैय्या
आबि गेला मोहन मुरारी कन्हैय्या 

नन्द बाबा पुलकित यशोदा निछावर
मोहि रहलै बिहुँसब अठन्नी रुपैय्या 

सोनाकेँ पलनामे झुलै झूला ललना
ठोप कारी रहि रहि लगाबै छै मैय्या

देखि लीला अजगुत अचंभामे नारद
नाचि रहला शंकर मगन ता ता थैय्या

नंदलाला राजीवकेँ बड सुखकारी
तीन लोकक मालिक जगतकेँ खेवैय्या

२१२२ २२१२ २२२२
© राजीव रंजन मिश्र 

Saturday, August 16, 2014

भक्ति गजल-१६ 

दानी के कन्हैय्या सन
शरणागत रखवैय्या सन

भेटल नै मीता सखि हे
गोबरधन उठवैय्या सन 

चरबै हमहूँ गोकुलमे
नंदक बाछर गैय्या सन

चाही चैनक अनुपम सुख
कदमक शीतल छैय्या सन

भँवरा बनि हिय नाचल ई
बहि शीतल पुरवैय्या सन 

मोनक चाटी बूझत के
राधा रानी मैय्या सन

हिय उमरल राजीवक जनि
यमुना ताल तलैय्या सन

222 2222
@ राजीव रंजन मिश्र 

Thursday, August 14, 2014

गजल-२९७ 

नगर नगरमे आइ तिरंगा 
लहर लहर फहराइ तिरंगा 

बिना सिमानक नील गगनमे   
बिहुँसि बिहुँसि मुसकाइ तिरंगा 

करै प्रवाहित जोश हियामे 
जखन जखन लहराइ तिरंगा  

रहै सदति खन ऊँचकँ आसन  
बढ़ति सदति चलि जाइ तिरंगा

हमर सभक राजीव यहै थिक 
जनक जननि आ भाइ तिरंगा 

१२१२ २२१ १२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 
गजल-296

हाथमे हाथ ओ अपन टेका जइतए
मोनकेँ जोह आ जरब मेटा जइतए 

मिठ मधुर बोल आ झुकल पिपनीकेँ बले  
आगियो पानि सन तुरत सेरा जइतए 

दान जे देल जा रहल मुइला बादमे
जीबिते खइतए तँ सभ मोटा जइतए 

चालि लोकक तँ भेलए घिरनित एहने
जे लजा लाज आ परा विधना जइतए  

कोन राजीव नेहकेँ मोजर जे रहल 
से जँ किछु रहितए तँ ओ कोना जइतए 

२१२ २१२ १२२२ २१२
© राजीव रंजन मिश्र

Tuesday, August 5, 2014

गजल-२९५ 


आबिये गेल इयाद हुनकर 
हिय कना गेल विषाद हुनकर 

चान ताराकँ अपन बुझल धरि 
हम तँ छी भेल दियाद हुनकर 

साँस दू चारि भरल कि नै बस 
लगचिया गेल मियाद हुनकर

हम रही गाम घ'रक बटोही 
आ बनल गेह रियाद हुनकर 

चलि रहल नित मचा क' विर्रो 
सदिखनक बात विवाद हुनकर 

आह राजीव बिसरि सकल नै
थोड़बो काल निनाद हुनकर 

२१२ २१ १२१ २२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

Monday, August 4, 2014

गजल-२९४ 

दिन तँ कहुना बीत गेलै रातिकेँ फेरी पड़ल छै
पी कँ शोणित गेल रौदी बाढिकेँ फेरी पड़ल छै

कर्म देखू आइ लोकक कोन अजगुत रूप धैलक
खेत आने जोति रहलै आरिकेँ फेरी पड़ल छै

जे सजा ओ काटि रहलै दंड ओ छी कोन करमक
कोन कारन तजि घराड़ी जाइकेँ फेरी पड़ल छै

बोल मिठगर बाजि नेताजी दनादन भागि पड़लै 
लोक हक्कारोस कानल पानिकेँ फेरी पड़ल छै 

हाल जे छै तै हिसाबे यैह टा राजीव लागल
किछु टका लै वोट देलक ताहिकेँ फेरी पड़ल छै

2122 2122 2122 2122
@ राजीव रंजन मिश्र 

Sunday, August 3, 2014

भक्ति गजल-१५ 

गोबरधन फेर उठाउ अहाँ 
पति राखनहार कहाउ अहाँ 

हे माधव दीन दयाल प्रभू 
तिरहूतकेँ आइ बचाउ अहाँ 

दोसर नै आस भरोस कुनो 
कहुना संताप मिटाउ अहाँ 

नै बाँचत माल जजात मनुख 
किछु अपने चक्र चलाउ अहाँ 

जनगण राजीव गुहारि रहल 
हे हरि उग्रास कराउ अहाँ 

२२२२१ १२११२ 
@  राजीव रंजन मिश्र 

गजल-२९३ 

करबाक जे करिते रहब
सत बाट पर चलिते रहब

काते दने भागु अहाँ
हम बीचमे अनिते रहब

हम लोक ओ छी जे सखा
मुसकी सदति भरिते रहब

आँहाँ सुनी बा नै सुनी
धरि हम गजल कहिते रहब

देने रहू बस कान टा
हम सोन नित गढ़िते रहब 

मिथिला हमर पहिचान थिक
हम मैथिली बजिते रहब

राजीव नै फटियैब धरि
अगरैलकेँ नथिते रहब

2212 2212
© राजीव रंजन मिश्र

Saturday, August 2, 2014

गजल-292

नै बदरी नै धार जनै छै
पोसब पालनहार जनै छै

महिरम गाछी खेतकँ चासक
अगबे टा रखबार जनै छै

डोंगी कोना पार उतरतै
मलहा आ पतवार जनै छै

बैसल ठाँ जे बात बनाबै
से खाली हूंकार जनै छै

छाती नै राजीव उतानू
सभकेँ सभ व्यवहार जनै छै

222 221 122
© राजीव रंजन मिश्र