Wednesday, July 30, 2014

गजल-२९० 

सुनूँ ने सुनूँ ने यै प्रियतम सुनूँ ने 
कथी कहि रहल जे ई मौसम सुनूँ ने 

बरसि जे रहल अछि ई सौनक फुहारा 
तकर धुन नचा देलक छमछम सुनूँ ने 

छी* मधुश्रावनीकेँ ई बेला रमनगर 
पिहानी सिनेहक टा अनुपम सुनूँ ने  

सजल फेर झूला छै यमुनाकँ कातें 
मयुर आ पपीहाकेँ सरगम सुनूँ ने 

सगर फूल पसरल छै गमगम सुवासित 
मधुप सन उताहुल भेलौँ हम सुनूँ ने 

समौने अहीँकेँ छी राजीव हियमे  
अहीँमे समायल छी हरदम सुनूँ ने 

* तेसर शेरमे एक टा दीर्घकेँ,लघु मानबाक छूट लेल गेल अछि। 

१२२ १२२ २२२ १२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

No comments:

Post a Comment