Monday, July 28, 2014

गजल-२८६ 

खून शोर पारैछ जमि कँ
माथ मोन फारैछ जमि कँ

तेज भाग रहलै तँ खूब
रास रंग धारैछ जमि कँ

बुधि विचार धाकड़ अछैत 
राज पाट हारैछ जमि कँ

कर्महीन सभदिन अभाग 
जानि बुझि हकारैछ जमि कँ

कैल-धैल राजीव लोकक
लारि चारि मारैछ जमि कँ

२१२१ २२१ २१ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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