Wednesday, July 2, 2014

गजल-२६७ 

बड़ मिजाजी मनुख कथिक काबिल 
बिनु मिजाजो मुदा क्षणिक काबिल 

बात मानल कहल सुनल लोकक 
हैत सेहो कनी कनिक काबिल 

बाजि बड़ कम सुनल कहब अनकर 
ओ तँ बाबू बड़ी रसिक काबिल 

बाजलक आ निभा चलल सरिपहुँ 
भेल ने से तखन सहिक काबिल 

सत्त राजीव यैह सभदिनका 
बूरि मरय अछि सदति अधिक काबिल 

२१२२ १२ १२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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