Friday, July 18, 2014

गजल -२७९ 

मिथिलाधाम महान यौ
थिक बड़ उँचगर मान यौ


गाछी खेतक शानमे
लागल सगरो चान यौ


भेटय ऐ ठम पाग आ
घर घर पान मखान यौ


कोसी कमला संगमे
निरमल धार बलान यौ


हिंदू शंख फूकि रहल
मियाँ* देल अजान यौ 


पाहुन बनि कँ जतह पहुँच
गेला श्री भगवान यौ  


छी राजीव हमर सभक
मिथिला मैथिल प्राण यौ


* पाँचम शेरमे एकटा लघुकेँ दिर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। 
2221 1212
@ राजीव रंजन मिश्र 

No comments:

Post a Comment