Thursday, July 17, 2014

गजल-२७८ 

एक मिसिया टा मुस्किया देने 
आँखि लाजे टा किछु झुका देने 

चर्च रूपक छल राति मजलिसमे 
एक झलकी टा बस लखा देने 

चानकेँ मोजर चांदनी बुझलक 
आन के बूझल बड़ बुझा देने 

चालि मारल आ बैन मोहल हिय 
बाण मारुक जे छल चला देने 

बाट जोहल राजीव जिनकर सभ 
ओ तँ हमरे टा छल पता देने 

२१२२२ २१२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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