Tuesday, July 15, 2014

गजल-२७६ 

आगि अछि लागल एहन कोमल करेजामे
की कहब ककरा जे किछु पूछत जिगेसामे

ताकमे सत्तक टा औनाएल छी एना
जी रहल छी हम जेना माछी गिलेबामे

आब जुनि ताकब खेसारी खेत पर हमरा
जाउ ने भेटत नै किछु हमरा मनेबामे

के सुनत आ सुनि मोनक अहलादकेँ बूझत
जानि नै लागत केहन हरुआ कहेबामे

जुनि करब चरचा कोनो राजीवकें नामक
काँट छी देखब गरि नै जै नाम लेबामे 

२१२२२ २२२२ १२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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