Monday, July 14, 2014

मैथिली हजल :एक प्रयास 

हम अपना आपमे बड़का साहित्यकार छी 
कुम्हारक चाक पर गढ़ने लोकक कपार छी 

गानल दिन भेल अछि एखन चुपचाप दम धरू 
पुश्तैनी लेखनीकेँ देखल हम पसार छी 

भोरुकबा सूर्ज हम हमहीं चान रातिकेँ 
हमहीं साहित्यकेँ मंदिर हमहीं मजार छी 

नै बाजू बेस चढ़ि हमरा संगे किएक जे 
सभटा सभ पैघ हाकिम दियादेकँ* सार छी 

रहने राजीव बड़ फैदा हमरा पछाड़मे 
हमरे टा हाथमे एकडमिक क्षार भार छी  

२२२ २१२ २२२२ १२१२ 

* एक टा लघुकें दिर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि 
** मतलाक मिसरा श्री राम कुमार झा जीसँ पैंच मांगि लेने रही। 

@ राजीव रंजन मिश्र 

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