Saturday, July 12, 2014

भक्ति गजल-14
गुरू पुर्णिमाक सुअवसर पर गुरू भगवानक सुमिरन करैत प्रेषित अछि एक गोट भक्ति गजल,जय श्रीमन्नारायण :

गुरू किरपाकेँ नै थिक सिमान यौ
पुरब पश्चिम बा उत्तर इशान यौ

मनुख जीवन छी सुख दुखकँ खेल आ
जनम जन्मक टा झिक्का तिरान यौ

गुरू सरिपहुँ टा अपने हिया थिकहुँ
कथी डाक्टर इंजिनियर किसान यौ 

करू गुरुवरकेँ गुनगान मान तजि
परत कोनो नै कालक निसान यौ

मिटत सबटा दुख दारुन कलेष आ
छुटत जीवनकेँ कुटिया पिसान यौ

गुरू वैष्णव थिक गोविंद नाम मणि
सहज लागत वैकुंठक ठिकान यौ

बुझल अनमन टा राजीव बात जे
गुरू किरपा थिक पुष्पक विमान यौ

1222 222 1212
© राजीव रंजन मिश्र

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