Thursday, July 10, 2014

गजल-272

एखन की भेल हँ एखन आर हएत
हाथक नै पैरो तरका पार हएत

लागल रहू चम्मच बेलन सभकेँ संग
जे वोट जितला पर धारोधार हएत

ई बादमे टरटर कैने बेंग जकाँ कि
घुरियो कनी देखत आ रखबार हएत

छल यैह टा बाँचल भरिसक भजार
गरियैल जनसाधारण देखार हएत

यौ जे ननू से छल गर्भहिँसँ ननू भ'
राजीव ओ छीनत जे बुधियार हएत

2212 2222 21121
© राजीव रंजन मिश्र

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