Sunday, June 8, 2014

गजल-२४९ 

दुनिया भरिकेँ खेल छै ऐ ठाँ
सभटा झूठक लेल छै ऐ ठाँ

मतलब की छै कोन जे ककरा
फुइसक खातिर मेल छै ऐ ठाँ

मोजर ककरो देत की कनियो
लुरिगर सभ क्यौ भेल छै ऐ ठाँ

झुठक जिनगी झूठकेँ दुनिया
लागय सदिखन जेल छै ऐ ठाँ

जानी धरि राजीव ई सत गप
भेटय जकरे देल छै ऐ ठाँ

2222 212 22
@ राजीव रंजन मिश्र 

No comments:

Post a Comment