Friday, June 13, 2014

गजल-२५४ 

नेह भरल आनन कै टा
छै नारिक पासन कै टा 

के करतै दाबी कथिक
बड़ गमगम चानन कै टा 

मै'-धी' पत्नी बहिनक सन
निर्मल आ पावन कै टा 

नेहक पुतली रहितो नित
एहन करगड़ हाँटन कै टा 

राजीवक गप बुझि सरिपहुँ
करतै अनुपालन कै टा 

२२२ २२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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