Friday, May 30, 2014

गजल-२४१ 

राति बड़ सुनसान लागल 
एक संगी चान लागल 

टान मोनक आइ हमरा 
फेर मारत जान लागल 

बोल हुनकर बेश रुखगर
आगि आ तूफान लागल 

नीक नै होली दिवाली 
ईद आ रमजान लागल 

लोक वेदक कर्म फुइसक 
आचमनि आ ध्यान लागल 

जीत थिक बा हारि ई से 
नै सहज अनुमान लागल 

की कहब राजीव ककरा 
जिंदगी अनजान लागल 

२१२२ २१२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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