Thursday, May 22, 2014

गजल-२३५ 

सुन्नर गमगम फूलक माला 
जीवन तन्नुक तागक माला 

जिबिते पहिरल बुड़िबक सदिखन 
मरला पर किछु लोकक माला 

गमकै बेशी चम्पा जूही  
नै धरि कम अर्हूलक माला 

चाही सभकेँ सभटा निकहा 
पहिरत नै क्यौ नीतक माला 

मानू चाहे नै मानू यौ 
जिनगी अपने करमक माला 

बटमारी के ककरो करतै 
झूठक बल पर जीतक माला 

ठोकल ठाकल गप राजीवक 
वीरक अभरन भागक माला 

२२२२ २२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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