Wednesday, May 21, 2014

गजल-२३४ 

करतब कम आ भाषन बेसी
ताकल उँचगर आसन बेसी

अपने मोने ओ बड़ काबिल
तैँ नै चललै शासन बेसी

रुचिगर भोजन छोऱल नै धरि
कैलक नित पद्मासन बेसी

पूछल हुनका किछुओ क्यौ जे
कहला हमरे पासन बेसी

बड़का छोटका नै किछु पानक
मोजर लेलक घासन बेसी 

सनहक्की लै दौगल जे बुरि
रान्हल से अरगासन बेसी 

देखल सदिखन ई राजीवक
मुँहफट अगिलह ना
सन बेसी 

2222 2222
@ राजीव रंजन मिश्र 

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