Sunday, May 18, 2014

गजल-२३१ 

निरसल मिथिला कानि रहल अछि 
मैथिल नै धरि मानि रहल अछि 

लागल सभ क्यो नीक अपन लै 
अपनेमे ई ठानि रहल अछि 

तिरपित मैथिल चारि टकामे 
कमजोरी सभ जानि रहल अछि 

अपना सतुआ नोन कँ महि महि 
अनका खातिर सानि रहल अछि 

मोदी लालू आर नीतीशक* 
सीटक गनती गानि रहल अछि

के जानल के चूसि रहल आ 
के घरमे की आनि रहल अछि  

जीतल क्यौ राजीव अनेरे 
बुड़िबक छाती तानि रहल अछि 

२२२२ २१ १२२
@ राजीव रंजन मिश्र 

*पाँचम शेरकेँ दोसर पाँतिमे एक टा दीर्घकेँ लघु मानबाक छूट लेल गेल अछि 

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