Tuesday, April 22, 2014

भक्ति गजल-११ 

मुरली माधबकेँ जखने मधुर बजलए
राधारानीकेँ पायल छनकि उठलए

नाचल गोपी आ ग्वारो किसन संगमे
सुर नर किन्नर से लखि लखि हरषि रहलए

रासक शोभाकेँ के की बखानत मुहें
लागल निधिबनमे चन्ना उतरि पड़लए 

यमुना काते औ कनुआ रचल खेल से
नाथल कालीकेँ फन आ बिहुँसि नचलए

जोऱी मोहनकेँ राजीव दोसर कतह
मीतक ताण्डुल पर त्रिभुवन लुटा हँसलए

२२ २२२ २२१२ २१२
@ राजीव रंजन मिश्र 

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