Sunday, April 20, 2014

गजल-२१९
 
सोचब नै किछु काल जँ थमि कँ 
गरजे भेटत जीत हकमि कँ 

देखल कहिया ककरा आन 
बड़ पाछुऔला बाउ भरमि कँ 

छोड़ू ने शोणितकेँ बात 
ठोकत छाती हाड़ हजमि कँ 

चेतू आबो यौ सरकार 
राखब कत दिन डेग सहमि कँ 

कटहर की राजीव लगैब 
फेरो जीवन आर जनमि कँ 

२२२ २२१ १२१ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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