Thursday, March 6, 2014

गजल-१९३ 

लोक कतेक तंग छैक 
देखि हदास जंग छैक 

मान ककर किएक देत 
चान चकोर संग छैक 

फेर लहास आइ देखि
मोन मिजाज दंग छैक 

राम रहीम एक भाइ 
नाम पचास रंग छैक 

बस जीयब कि नाम लेल 
यैह बचल कि ढंग छैक 

हारि चलल तँ आब लोक 
साज सचार भंग छैक 
 
२१ १२१ २१२१ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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