Friday, March 21, 2014

गजल-२०४ 

चलू आब पछिला बिसरि जाय सभटा 
बदलि दी जगतकेँ गलत भाय सभटा 

मनुख जन्म भेटल करी कर्म टा बस 
प्रभू हाथमे छोड़ि सुनवाय सभटा  

अबस सोचि ली संच मोने बिलमि जे 
कठिन बेस असगर सलटनाय सभटा 

बयस बीति कतकेँ रहल अछि कुमारे 
तजी भ्रूण हत्याकँ हरियाय सभटा 

बहुत भेल राजीव गत झूठ खातिर 
अपन सोच बदली जँ सरिआय सभटा 

१२२१ २२१२ २१२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र

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