Tuesday, February 25, 2014

गजल-१८९ 

नव किछु कहू घटल की कहए छी
ताहूमँहक असल की कहए छी 

मिठगर करू कनी बोल अपन किछु
सदिखन वचन तनल की कहए छी 

आँहाँ विचारमे सभ त' कठिनगर
फरिछा कहू सरल की कहए छी 

आंगुरसँ गाइन पुराओल बहरमे
ई शेर आ गजल की कहए छी 

खहियारि गप्प राजीव कहब जे 
बाजू खखसि दबल की कहए छी 

२२१२ १२२ ११२२
@ राजीव रंजन मिश्र 

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