गजल-१८७
सुधारक सुझाब आ गुंजाइस संग प्रेषित :
सुख दीप जराकँ आएब अहाँ
नित बाट हियक दँ आएब अहाँ
बस गीत सिनेहकेँ हम लिखब
धरि बोल मधुर लँ आएब अहाँ
सभ राति इजोरिया चान सन
मुसकी द' अपन जँ आएब अहाँ
दुख बाट सहजसँ कटि जेतए
बस हाथ हमर धँ आएब अहाँ
बस हाथ हमर धँ आएब अहाँ
राजीव भरोस आ आसमे
सरकार अबस तँ आएब अहाँ
सरकार अबस तँ आएब अहाँ
२२१ १२१ २२१२
@ राजीव रंजन मिश्र
No comments:
Post a Comment