Monday, February 17, 2014

भक्ति गजल-९  

हे स्वामिनी सरल हिय सिये सुख धाम प्रियतम रामकेँ
चलि आउ हे जनकनन्दनी गहि हाथ शोभा धामकेँ

दुहि नैन बेश ब्याकुल हमर आ मोन मुरछित भेल ई
हे भूमिजा सुनैनाक धी बस एक रट प्रभु नामकेँ

अरजी हमर सियाजी सुनब हमरा तँ दृढ विश्वास जे
हे जानकी अहाँ बिनु कखन दरकार टा किछु गामकेँ

रघुपति प्रिया सहज मति हिया बस नेह बरसा दी अपन
करुणानिधान अवधेश टाकेँ संग रहने बाम केँ

धरनीसुता जगतवन्दिता राजीवकेँ छी कामना
मिथिला हमर सचर धाम हो गुणगान हो अहिठामकेँ 

2212 12212 221 22212
@ राजीव रंजन मिश्र 

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