Monday, January 13, 2014

गजल-१६८ 

आँखि आँखिमे सभटा कहि गेल
बात बातमे जुलमी गहि गेल

नैन बाणकेँ मारुक खंजरसँ
मोन प्राण अधमारल रहि गेल 

पल उठा क' देखल ओ जखने त'
विश्वमित्र देबालो ढहि गेल

औ नयन कमानक सर बेधलसँ   
वीर हारि टा सगरो महि गेल

नेह धारमे डूबल राजीव
भोर साँझ सभ तारन सहि गेल 

२१२१ २२२ २२१ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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