Friday, January 10, 2014

गजल-१६६ 

थाकल जे मरि गेल जगतमे
भेटत की फुसियाहि बहसमे 

की जीतल आ हारि चलल की
जानल के ई बात सहजमे

डाहब सदिखन मोन अपन टा
मतलब ककरा गाम नगरमे

दुनियाकेँ ई खेल पुरनगर
लचरल बुरिबक बीच भँवरमे

करमक सभ राजीव नतीजा
ककरो नै लहि गेल अचकमे

२२२ २२१ १२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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