Sunday, December 22, 2013

गजल-१५८
आजुक दिन मैथिलीकेँ संविधानक अष्टम सूचिमे स्थान भेटल छल तैं एकर पालन अधिकार दिवसकेँ रूप में करैत छी हम सभ,किछु फुराएल आ टंकित काएल गेल,प्रेषित अछि माँ मैथिलिक सेवामे,ज्ञानी गुनी जन आ मित्र बंधु लोकनिक स्नेहाकान्क्षी रहब :
भीख नै अधिकार चाही 
आब नै किछु आर चाही 

आउ नबतुरिया अहाँकेँ 
बुधि बलक हथियार चाही 

कर्मेकेँ मोजर करी आ 
जुल्मकेँ प्रतिकार चाही 

नित रहथि संगे बनल ओ  
बूढ़केँ सत्कार चाही  

मांग सभटा ठीक छै धरि 
संग आ सरियार चाही 

चानपर छी जा चुकल तैं 
चानकेँ किछु पार चाही 

मोनकेँ दमका दए से 
रस भरल रसधार चाही 

मैथिलीकेँ मान हो आ 
मायकेँ मनुहार चाही 

छी रहब मैथिल सदति बस 
यैह टा गलहार चाही 

जागि ई मिथिला चुकल अछि
हिय भरल अंगार चाही 

ली शपथ राजीव आबू
माथ परका चार चाही 

२१२ २२१ २२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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