Friday, December 13, 2013

गजल-१५३ 

हियक अहलादकेँ फुसियाएब मोसकिल छल
सुनल सभ बातकेँ बिसराएब मोसकिल छल 

उगल छल चान जे पूनमकेर रातिमे ओ
तकर मारल हियक सरियाएब मोसकिल छल 

सलटि लेलहुँ जगतकेँ सहजेसँ नित मुदा बस
बढल अनुरागकेँ अनठाएब मोसकिल छल

गुलाबक फूलसन जगती खुब बिहुँसलए धरि
भरल मधुमासमे मुसकाएब मोसकिल छल 
  
बड़ा राजीव छल ललसा दौग मारएकेँ 
झटकि धरि डेग नित चलि पाएब मोसकिल छल 

१२२ २१२ २२२१ २१२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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