Saturday, November 9, 2013

गजल-१३९ 

घोघक तरक चान सोझा जे एलए
गगनक नुका चान लाजे ओ गेलए

चाहल मुदा ताकि उपमा भेटल कहाँ
परियो हुनक सोंझ पापड़ टा बेलए

मोनक कहब हाल ककरा मीता अपन
हिलकोर रहि रहि करेजामे ठेलए

बाजब हुनक जनि मधुर नेहक गीत सन
छोहक घऱी मोन कोना ई झेलए

राजीव भासल दहा कोनो होश नै
पागल सनक मोन फेरो जे भेलए

बहरे सगीर (२२१२ २१२२ २२१२) 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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