Saturday, November 30, 2013

गजल-१४८ 

जिनगी जीबाक नाम रहल सभदिन
नुनगर सेकल बदाम रहल सभदिन 

बेसी फटिया क' मोन चढ़ा भखने 
लोकक दरजा त' आम रहल सभदिन 

चारि आखर सिनेहक बले देखल 
भरिगर सुधिगर तमाम रहल सभदिन 

सुख दुख सहबाक नाम कलाकारी 
भागक तखने सलाम रहल सभदिन 

के कहलक जे सुरा त' रमनगर छै 
मारुक जोहक त' जाम रहल सभदिन 

मानब राजीव बात सदति ठोकल 
करनी टाकेँ त' दाम रहल सभदिन  


२२२२ १२१ १२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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