Tuesday, November 5, 2013

गजल-१३८ 

समय सभ किछु बुझा दए छै
सबक सभटा सिखा दए छै 


सगर महि जीत लेब कतबो
अपन अपने हरा दए छै


पियरगर माय बापकेँ मुहँ
अगनि बेटा लगा दए छै


हिला जकरा सकल नै किछु
पटकि चिन्ता गला दए छै


सुनब राजीव मोनकेँ नित
सहज ऐना लखा दए छै

1222 12122
@ राजीव रंजन मिश्र 

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