Saturday, November 30, 2013

गजल-१४८ 

जिनगी जीबाक नाम रहल सभदिन
नुनगर सेकल बदाम रहल सभदिन 

बेसी फटिया क' मोन चढ़ा भखने 
लोकक दरजा त' आम रहल सभदिन 

चारि आखर सिनेहक बले देखल 
भरिगर सुधिगर तमाम रहल सभदिन 

सुख दुख सहबाक नाम कलाकारी 
भागक तखने सलाम रहल सभदिन 

के कहलक जे सुरा त' रमनगर छै 
मारुक जोहक त' जाम रहल सभदिन 

मानब राजीव बात सदति ठोकल 
करनी टाकेँ त' दाम रहल सभदिन  


२२२२ १२१ १२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 
गजल-१४७ 

गाममे छी, घरसँ सटल पोखरिक अनुपम प्राकृतिक छटा देखि नै रहल गेल...किछु कहि गेलहुँ,सचित्र प्रेषित अछि 
अपने लोकनिक सोझाँ :

बगुला बैसल जाठिपर
आँखिक पुतली माछपर

लोकक सदिखन सोच धरि
टांगब सभकेँ चाँछपर

के बूझत गप आनकेँ
सभकेँ धाही चानपर

भेटल नै सहजे कमल
चिक्कन चुनमुन घाटपर

अकुलायल राजीव छी
तुरछल अपने आपपर

2222 212
@ राजीव रंजन मिश्र

Tuesday, November 26, 2013

गजल-१४६ 

देहक लहसन आ सम्बन्ध कहियो नै मिटाइ छैक
कतबो चाहब धरि मुइलाक बादो संग जाइ छैक 

उनटा सोचक ई अपने सभक फल भेल जे बिसरिकँ
लोकक जिनगीमे देखब त' सभकिछु आइ पाइ छैक 

नेहक मूरति छल सभदिनसँ घर घर नारि जाहि ठाम
तहिठाँ कुबिया मारल जा रहल नित माय दाइ छैक 

अबिते माँतर जे छल जन्म जन्मक बनल भजार
तकरा बिसरा शोणितकेँ पियासल भाइ भाइ छैक 

खहरल अपनेमे गुमसुम परल राजीव भोर साँझ
विधना बाजू ने एकर जँ किछु मिरचाइ राइ छैक 

२२२२ २२२१ २२२१ २१२१ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

Sunday, November 24, 2013

गजल-१४५ 

दू घोंट अपना हाथे आइ पिया दिय' प्रिये
बस चारि आखर नेहक फेर सुना दिय' प्रिये 


कनि आउ संगे बइसू हाथ धरू हाथमे
किछु चाह बेकल मोनक पुरा दिय' प्रिये


दू नैन काजरकें लजबैत गरल तीर सन
ई प्राण कोना बाँचत बाट सुझा दिय' प्रिये 


रूपक गजल हम भाखब पी क' नेहक सुरा
किछु बोल हमरा गजलक आर फुरा दिय' प्रिये 


मारल जगतकें छी राजीव सदति सभदिनक
हकदार अपना नेहक आइ बना दिय' प्रिये 


२२१ २२२२ २११२ २१२
@ राजीव रंजन मिश्र 

Saturday, November 23, 2013

गजल-१४५ 

एक्कहु टा बात अलबल सोचब त' बेकार थिक
जिनगीमे दोग दागे भागब त' बेकार थिक 

मोजर लोकक सराहलकेर अलगे बुझब
अपने मोने जँ काबिल साजब त' बेकार थिक
 
हाथक रेघाकँ बस रेघे मात्र मानब उचित
भागेंकें रहि भरोसे टीकब त' बेकार थिक 

छल काजक लोक ओ जे पजिया क' सदिखन चलल 
फटकीमे रहिकँ लारब चारब त' बेकार थिक 

फल करमक भोगहे टा राजीव सदिखन पड़त 
अगिलाकें मुँह अनेरे नोचब त' बेकार थिक 

२२२ २१२२ २२१ २२१२ 

@ राजीव रंजन मिश्र

Saturday, November 16, 2013

ओ दिन सेहो याद अछि जहिया भारत खेलयसँ पहिने हारि जाय छल आ आजुक दिन किछु कहबाक प्रयोजन नै,भारत क्रिकेटक बेताज बादशाह थिक खेलसँ ल' क' प्रशासनिक रुपे आ भारतीय क्रिकेटक भविष्य निश्चित रुपए पुरजोर इजोरियाक चान सन अछि,मुदा बिनु सचिन क्रिकेट? 
हाँ,हमहूँ अहाँ सभगोटे जकाँ क्रिकेट आ सचिनकेँ जबरदस्त प्रसंशक रही,छी आ रहब। …  आइ ओकर विदाइ काल करोड़ो देशवासीक आँखि नोरायल छल,नोर हमरो बहल आ संगे क्रिकेटक बेताज बादशाहक लेल किछु शब्द सेहो,साझा करए चाहब अपने लोकनिक संग : 
ओ वीर आइ कना देलक
खन चारि लेल झिमा देलक 

शाबाश शेर क्रिकेटक ओ 
सभ कीर्तिमान धसा देलक 

सैकड़ करोड़ हियाकेँ ओ 
सभ ठाम मान दिया देलक 

धनबाद ओइ गर्भकेँ जे 
दियमान चान चढ़ा देलक 

खेलल क्रिकेट त' तेंदुलकर
छक्काक टाल लगा देलक
 
छोड़ल जखन त' सचिनकेँ सभ 
नोरैल आँखि विदा देलक 

करनी विचार धवल तेहन 
भारतकँ रत्न बना देलक 
२२१ २१ १२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्रा   

Friday, November 15, 2013

गजल-१४३

किछु लोहाक आ किछु लोहारक दोष छल
धरि लोकक हिसाबे सभ भागक दोष छल

नित बुधियार मानल एक्के टा गप्पकेँ
आनक नै किछु अपने काजक दोष छल

सभ निकहा त' अरजल अपने सुधि बुधि बले 
बस अधलाह खन सभटा आनक दोष छल

नै पलखैत अछि ककरो लग देखत सुनत
घर बिलटल त' सेहो सरकारक दोष छल 

धरि ठेकान राखल करमक राजीव जे
तकरा नै कनिकबो जोगारक दोष छल 
२२२१  २२२२  २२१२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

Wednesday, November 13, 2013

गजल-१४४ 

सहजोरकेँ सहकब छजए छैक
कमजोर अनढनकेँ मरए छैक 


बेछोह दरदो सभटा सभदिनसँ
पछुऐल सभतरहेँ सहए छैक 


अधलाह ओ काजे सदिखन भाइ
जे लोक हरसट्ठे करए छैक 


बुधियार लोकक सभटा ऐ ठाँम
बातेसँ मोसल्लम चलए छैक


भागे भरोसे भेटित सभकेँ  त'
सुतलासँ ककरा किछु लहए छैक 


राजीव मानल टा सनकेँ बात
बपजेठ बढि चढ़ि नित भखए छैक 

२२१ २२२ २२२१ 
@ राजीव रंजन मिश्र 
गजल-१४२ 

नेह सेहो शर्तक संग छैक आइ
लोक मारल मोनक दंग छैक आइ

कोन तरहे बाँचत लोक मोन मारि
भेल सगरो अजगुत रंग छैक आइ

के करत कोना निरबाह बोल केर
हिय सिनेहक डाहल तंग छैक आइ

तान बदलल लोकक छोऱि छाऱि नेह
भास करगर देहक अंग छैक आइ

कोन बातक थिक राजीव कष्ट घोर
बेलगामक सभ सारंग छैक आइ

2122 2221 2121
@ राजीव रंजन मिश्र

Tuesday, November 12, 2013

गजल-१४१ 

लोक ऐठा हँसि हँसि क' सभ बात कहि जाइ छैक
आर किछु हो नै हो थमल नोर बहि जाइ छैक

के सहत सदिखन बात ककरो ठरल आइ आब
मोन नेहक नेहाल पतिया क' सहि जाइ छैक 

किछु रहल नै हाथक अपन साध कहियो त' भाइ
सोच सुलझल बेबाक नै सभकाल लहि जाइ छैक 

देखबामे आओल सभदिनसँ जे सोझसाझ
बुरिबलेले आ सभसँ बेकार रहि जाइ छैक

सत्त मोनक राजीव सहजोर टा नित बचल ग'
झूठ ठामेकेँ ठाम सरकार ढहि जाइ छैक

२१२२ २२१२ २१२ २१२१
@ राजीव रंजन मिश्र

Monday, November 11, 2013

गजल-१४० 

आँखि जखने फूजल भोर भेल बूझब 
बान्हि राखब आइर पाइन गेल बूझब 

गप सदति सभदिनका छैक ई सराहल 
काट सभ दिक्कतकेँ तालमेल बूझब 

चारि टा कनहा मुइलोकँ बाद लागत 
लरि क' भिन्ने नित रहनाइ जेल बूझब

एकसर ब्रेहस्पतियो झूठ लोक भेला 
सर समांगक बल अनमोल तेल बूझब 

के ककर ठीका राजीव लेल कहियो 
बोल दू गो नेहक प्राण देल बूझब  

२१२२ २२२१ २१२२ 
@ राजीव रंजन मिश्रा 

Sunday, November 10, 2013

भक्ति गजल-५ 

अनुपम छबि लखि नित बिभोर छी
माधब तौँ शशि हम चकोर छी


अन घन लछमी अंग अंगमे
भरिगर तौँ बस जग त' थोऱ छी


राधा रानी संग बाम दिसि
नख शिख अपरुप महि इजोर छी 


अनुखन राखह निज चरण शरण
सहकल बहकल सठ अघोर छी 


बिसरल जग राजीव भाबमे
लागल ठकबक गरबकोर छी


222 221 212
@ राजीव रंजन मिश्र 

Saturday, November 9, 2013

गजल-१३९ 

घोघक तरक चान सोझा जे एलए
गगनक नुका चान लाजे ओ गेलए

चाहल मुदा ताकि उपमा भेटल कहाँ
परियो हुनक सोंझ पापड़ टा बेलए

मोनक कहब हाल ककरा मीता अपन
हिलकोर रहि रहि करेजामे ठेलए

बाजब हुनक जनि मधुर नेहक गीत सन
छोहक घऱी मोन कोना ई झेलए

राजीव भासल दहा कोनो होश नै
पागल सनक मोन फेरो जे भेलए

बहरे सगीर (२२१२ २१२२ २२१२) 
@ राजीव रंजन मिश्र 

Tuesday, November 5, 2013

गजल-१३८ 

समय सभ किछु बुझा दए छै
सबक सभटा सिखा दए छै 


सगर महि जीत लेब कतबो
अपन अपने हरा दए छै


पियरगर माय बापकेँ मुहँ
अगनि बेटा लगा दए छै


हिला जकरा सकल नै किछु
पटकि चिन्ता गला दए छै


सुनब राजीव मोनकेँ नित
सहज ऐना लखा दए छै

1222 12122
@ राजीव रंजन मिश्र 

Monday, November 4, 2013

गजल-१३७ 

ईजोतक पावनिकेँ हल्ला बना देलक लोक
सुड्डाहल टाका मोहल्ला उड़ा देलक लोक 


हो कोनो अबसर कतबो जे पवित्र होइक साँझ
सगरो देखू दारुक नल्ला बहा देलक लोक 


बहुतोंकेँ नै दू कौर टाकेँ जोगार
दाबल दानाकेँ आ गल्ला सड़ा देलक लोक 


अपनों घर नै सम्हरल जकरा बुते सरकार
गामे गामे बातक बल्ला चला देलक लोक 


कत्ते अछि जीबट से देखल गुम राजीव
दिन देखारे सतकेँ कल्ला दबा देलक लोक 


२२२ २२२ २२१२ २२२१ 

@ राजीव रंजन मिश्र


Sunday, November 3, 2013

गजल-१३६ 

जगमग जोति दिया-बातीकेँ
हरषल लोक बिसरि सातीकेँ

अजगुत रंग रहल सभदिनका
बिसरल पीर जुरा छातीकेँ

चाहब लाख मुदा नै सपरत
बाबत गान कलम पातीकेँ

आँगन द्वारि सजल छल जेना
अनमन रूप त' अहिबातीकेँ 

हो राजीव सभक जिनगीमे
चैनक राति चहक प्रातीकेँ 

2221 12222
@ राजीव रंजन मिश्र 

Saturday, November 2, 2013

गजल-१३५ 

समस्त मित्र बंधुकेँ दीया बातिक हार्दिक मंगल कामनाक संग प्रेषित अछि हमर ई गजल:

मंगल दीप जराकँ राखब
सदिखन माथ लिबाकँ राखब 

साथे साथ रहत ग' दुख सुख
हल्लुक मोन बनाकँ राखब 

निसि वासर त' मनत दिवाली
जा धरि बानि सजाकँ राखब 

ज्ञानक दीप इजोर देखा
घुप अन्हार मिटाकँ राखब


करनी ऊँच वचनसँ मधुगर
गामक गाम जुराकँ राखब 

बड अनमोल मनुखकँ काया
अनुदिन लाज बचाकँ राखब


राजीवक त' रहत विनय जे
लचरल गेह उठाकँ राखब

2221 12122
@ राजीव रंजन मिश्र