Thursday, October 17, 2013

गजल-१२४ 

नै राम रहीमक झोक रहय   
नै वेद कुरानक टोक चलय 

किछु आर भने नै होइ मुदा
बस संग ध' लोकक लोक सहय 
 

नै ईद दिवाली भरिकँ मजा
आनंद सहित नित नेह लहय
  
हो राम रहीमक गान सदति
नै नामकँ खातिर जीव मरय 

राजीव सुनब नै लोककँ कहल
किछु लोक त' अतबे खेल करय 

२२१ १२२ २११२ 
@ राजीव रंजन मिश्र  

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