Wednesday, October 23, 2013


बाल गजल-१२ 
पिछला दू रातिसँ कनिक देरीसँ लौटबाक चलिते बेटी दुनूसँ भेंट नै भेल छल्ह,मोनो लागल छल्ह आ आँखियो फुजि गेल त' छोटकी बेटी विजयलक्ष्मी (गोलू) लेल कहल ई बाल गजल,प्रेषित अछि अहाँ सभक सोंझा:

गोलू रानी सूतल छथि
उनटा मूँहेँ घूमल छथि


बुझना जाइत अछि भरिसक
मोने मोने रूसल छथि

कखनो किछु नै खेतिह ई
छूछ्छे पेटे भूखल छथि

गुऱिया लेने पाँजरमे
अपनेटामे डूबल छथि

पप्पा ऐला सुनिते से
चटदनि कहली ऊठल छथि

राजीवक दुलरी बेटी
बड बुझनुक आ गूथल छथि

2222 222
राजीव रंजन मिश्र

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