Friday, October 18, 2013


गजल -१२६ 

चान राति सन सजल मुस्कान हुनक मारुक
जान प्राण हति रहल मुस्कान हुनक मारुक

अछि गजलकँ पाँति सन ओ ठोढ़ भरल रसगर
लखि हिया हहरि मरल मुस्कान हुनक मारुक


बात कत कहब ग' उपमा लेल हुनक आँखिक
चन्द्रमा लजा चलल मुस्कान हुनक मारुक


केश कारि मोसि सन फूजल त' बहल झरना
स्याह रातिमे धवल मुस्कान हुनक मारुक


छानि मारि दस दिशा राजीव कहाँ भेटल
छल मरीचिका बनल मुस्कान हुनक मारुक 


२१२१ २१२ २२१  १२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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