Friday, September 27, 2013

गजल-१०९ 

किछु बात फुरा गेल छल हमरो
कुटि चालि लजा गेल छल हमरो

लचरल त' रहल नित पऱल सेरा
से बात बुझा गेल छल हमरो

बातेकँ बनल मोटरी सभतरि
सरकार लखा गेल छल हमरो

सिद्धांत ध' किछु हाथ नै लागत 
जिनगी त' सिखा गेल छल हमरो 

राजीव बढ़ल ताप नित मोनक
खड़काह बना गेल छल हमरो 

 221 1221 222

@ राजीव रंजन मिश्र  

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