Sunday, September 29, 2013


गजल:१११ 

बुझबाक आ सुनबाक लेल धनबाद कोटि कोटि 
किछु सोचि बुझि गमबाक लेल धनबाद कोटि कोटि 


नै जानि कोना चीर मोन आभार हम जताउ 
भाखल हियक पढबाक लेल धनबाद कोटि कोटि 

चुपचाप रहि बुधियार बनि रहल छाँटि गप्प बेश 
सरकार दम धरबाक लेल धनबाद कोटि कोटि 

भाबक भरल दू चारि पाँति बाजल जँ भूल चूक 
निष्पक्ष किछु कहबाक लेल धनबाद कोटि कोटि 

"राजीव" हारब नै हियाउ ई ठानि हम त' लेल 
नित संग रहि चलबाक लेल धनबाद कोटि कोटि 

२२१ २२२१ २१२२१ २१२१  


@ राजीव रंजन मिश्र 

Saturday, September 28, 2013

गजल-११०  

भेटल नै जे नसीबमे
से की भेटत ग' भीखमे

सीखब आबहुँ जँ बात नै
खहरब जगतीक रीतमे

दुनिया भारिगरकँ संग टा
धैलक लाखोकँ भीऱमे

हल्लुक जखने गरम पड़त 
ठिठुरब निसि दिन त' शीतमे 

मानब राजीव हारि नै 
वीरक पहचान जीतमे

2222 1212

@ राजीव रंजन मिश्र  

Friday, September 27, 2013

गजल-१०९ 

किछु बात फुरा गेल छल हमरो
कुटि चालि लजा गेल छल हमरो

लचरल त' रहल नित पऱल सेरा
से बात बुझा गेल छल हमरो

बातेकँ बनल मोटरी सभतरि
सरकार लखा गेल छल हमरो

सिद्धांत ध' किछु हाथ नै लागत 
जिनगी त' सिखा गेल छल हमरो 

राजीव बढ़ल ताप नित मोनक
खड़काह बना गेल छल हमरो 

 221 1221 222

@ राजीव रंजन मिश्र  

Thursday, September 26, 2013


गजल -१०८ 

हुनका देखिते किछु फुरा गेल फेरो
सोचल डेग छल डगमगा गेल फेरो

जिनका सौँपि देने रही डोरि मोनक
साँझे राति ओ धरफड़ा गेल फेरो

बाटक माँझ कौखन जँ भेटल त' चटदनि
नोरे आँखि छल डबडबा गेल फेरो

जिनगी रौद छल छाँह हुनकर त' संगत
डाढल गात हिय छड़पटा गेल फेरो

ठानल रोज राजीव सचेतन बनब धरि 
भाबावेशमे धुक चुका गेल फेरो 

2221 2212 2122

@ राजीव रंजन मिश्र 

गजल-१०७ 

जगतक चालि बड कमाल देखल ऐठाँ
सूतल चाऱ तर धरि मजाल देखल ऐठाँ

आंगुर हाथ आबएत मातर बाबू
टीकी नोचि नित बबाल देखल ऐठाँ

जखने एक टा मिटाउ तखने दोसर
चट दनि ठाढ नब सवाल देखल ऐठाँ

मोजर कोन काज केर भेटल ककरो
पसरल बातटाकँ जाल देखल ऐठाँ

गुम राजीव देखि सुनि अजगुत लीला
काजक बेर सभ पताल देखल ऐठाँ 

2221 2121 2222
@ राजीव रंजन मिश्र 

Friday, September 20, 2013

गजल-१०६ 

नै चाहितो बड किछु करा जाइ छै यौ
बुधि ग्यान सहजे गऱबऱा जाइ छै यौ 

कतबो किएके नै सचर लोक मोनक
दिन काल पलटल आ धरा जाइ छै यौ

कहबाक खातिर जे संगी जन्म जन्मक
दरकार पऱिते ओ परा जाइ छै यौ 

गरमी बहुत छल जाममे मान दानक
धरि हाक सुनिते हिय जऱा जाइ छै यौ 

राजीव सदिखन माथ राखब लिबा नित
जखने उठल सभ चरमऱा जाइ छै यौ

बहरे सरिअ - 2212 2212  2122

@ राजीव रंजन मिश्र 

Wednesday, September 18, 2013

गजल-१०५ 

आइ देखू कोन ई बिधान सीखल गेल
सोन संगे कान गेल भाग दोषल गेल

भाग केर बात की करब अहाँ सरकार
सोझ साझ लोक केर हाथ तीतल गेल

राज पाट लुटि रहल करत तकर के सोच
पार घाट जे करत हपोसि बोतल गेल

लोकतंत्र भेल नाश तोऱि सभटा बान्ह
दोग कोन माझ ठाम लोक मारल गेल

जाहि बाट नीक सोचि गेल छल राजीव
देखि खेल चोरि केर मोन बेकल गेल

2121 212 121 2221
© राजीव रंजन मिश्र 

Tuesday, September 17, 2013

भक्ति गजल - ४ 

आहाँ छी ज्ञान दरसन नित मानि ई रहल छी 
दुरगुन अछि बड मुरारी हम जानि ई रहल छी 

कोनो नै बाट छोड़ल दिअमान लेल कौखन 
बहकल छी धरि करेजा नित तानि ई रहल छी 

सूझल टा दोष आनक निज चालि बेश लागल 
सुधरल नै भाग डाहल बस कानि ई रहल छी 

कखनो नै हाथ छोड़ल कोनो पतित अधमकेँ
नेहक छी खान माधब नित बानि ई रहल छी 
 
सेवामे प्रभु चरण टा राजीव नित बिताबी 
बिसरल छी हम जगत आ दिन गानि ई रहल छी   

२२२ २१२२ २२१ २१२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

Monday, September 16, 2013

गजल-१०४

आइ फेर मोन हमर उदास अछि
फेर कान्ह पर त' चढल लहास अछि

पोछि पाछि नोर सभक त' हम चलल
बेर काल हारि क' हिय निराश अछि 

पीबि गेल दुख त' सभक सदति मुदा
दुख अपन अबूझ बनल पियास अछि

गाछ पात ठाढि खसल सुखा सुखा 
दैब जानि कोन बहल बतास अछि

बाट घाट पूछि रहल हमर पता
थाकि हारि मोन झड़ल पलाश अछि

2121 2112 1212
@ राजीव रंजन मिश्र 
गजल-103

सभ जानितो बुझितो लोक मातल भेल
गलती कखन कोनो ठाम रोकल भेल

जेबाक जकरा छल जाहि रूपे से त'
चलि गेलए नै धरि नाम ओझल भेल

छल जीबिते सभटा कष्ट चारू कात
मरलाक बादे ओ आम पाकल भेल

नित मोन कहलक सभ बात खुल्लेआम
सत गप कहाँ धरि खहियारि भाखल भेल

राजीव धनबादक पात्र छथि ओ लोक
चाहत जिनक सोना छोऱि पीतल भेल

बहरे सलीम - २२१२+२२२१+२२२१
@ राजीव रंजन मिश्र

Tuesday, September 10, 2013

गजल -१०२ 

बात निकलत त' बस निकलिते रहत  
लाख झाँपब मुदा पसरिते रहत  

नै जँ राखब दुरुस्त अपना घरकँ   
बाट काटत लुधकि चहटिते रहत
 
बोल बाजल कखन घुरल छल मुँहक  
चान भागक कि नित चमकिते रहत 

राति कतबो सघन गहनगर हो 
वीर बाती बनल पजरिते रहत 

कोन बातक भरोस राजीव छल 
लोक मातल मतल बिसरिते रहत  

२१२२  १२१ २२१२  
@ राजीव रंजन मिश्र 

Monday, September 9, 2013

गजल-१०१

चान सनकँ चीज कलंकित भेल कहबीसँ
रूप रंग मोह क' श्रापित भेल करनीसँ 

बेर काल चुप्प रहब अनढनकँ थिक काज
नेत चोरि घात करत हारब ग' पदबीसँ 

मान कोन बातकँ छी बल कोन सरकार
आइ धरि कि लोक चलल नित आप मरजीसँ 

अंत खन करेज कहत हमरे त' छल दोष
छोट काज धाज अपन दुख भेल जगतीसँ 

चान सनकँ रूप जँ बुझि राजीव बड भाग
बाज आउ राति दिनक बरबोल कथनीसँ 

२१२१ २११२ २२१ २२१
@ राजीव रंजन मिश्र 

Sunday, September 8, 2013


गजल-100
कनि देर भेल मुदा बिलमिये क' सही किछु फुरा गेल,जिनगीक बाटमे मार्गदर्शन केनिहार सभ गुरुजनक आभार जतबएत सादर नमन संग आजुक परिस्थितिक हिसाबे प्रेषित अछि हमर ई सएम गजल,अपने गुनीजनक नेह भरल दृष्टिक आकांक्षी  रहब!!!

नै गुरु रहल नै छात्र ओहन सन
औ जी कहब की बात जोरन सन

दिन राति बेसाहल परल कम धरि
कोना बचत ई लोक एहन सन

के आब नेमाहत ककर कोना
नै नेत आ नै मोन तेहन सन

ओ बात जे कहता निकक खातिर
छत्ता परत जनि गात घोरन सन

राजीव नै भेटल सगर घुरि फिरि
जे छात्र गुरुमे बात मेजन सन

2212 221 222
@ राजीव रंजन मिश्र 

Wednesday, September 4, 2013

भागबत भजन -१ 

चलू सभ पहुँचब ओ बैकुण्ठ धाम 
जतए दुख कोनो नै यौ
बिरल बड गुरु चरणक थिक मान 
रहत दुख कोनो नै यौ

गुरु किरपासँ सभ किछु भेटल,
दैहिक दैबिक भौतिक मेटल 
गुरुवर मोड़ल दैब विधान 
से दोहमत कोनो नै यौ 
चलू सभ पहुँचब ओ  ………………. 

बिरजा पार सजल एक नगरी 
पहुँचल जहिठा केवट सबरी 
बस बूझल ओ रामक नाम 
एहन गुण कोनो नै यौ 
चलू सभ पहुँचब ओ  ………………. 

बड दुरलभ ई मानुस काया 
भेटत पुनि जुनि सोचू भाया 
करू नित गुरु महिमा गुणगान 
छुटत सुख कोनो नै यौ 
चलू सभ पहुँचब ओ  ………………. 

@ राजीव रंजन मिश्र