Sunday, August 4, 2013



गजल-९३ 
ओना हमरा सभक समय धरि त' कोनो दिन विशेष नै होएत छल ककरो नामे,तहन जँ किनको नामे कोनो दिन विशेष समर्पित कएल जाए त' कोनो बेजाए गप्प सेहो नै। अजुका दिन फेसबुक पर संगीक नामे समर्पित देखि किछु फुरा गेल आ प्रेषित अछि अपने लोकनिक सोझा हमर ई गजल :

हम बाट जोहब सिखलहुँ आभार अहाँकँ
दिन राति जागब सिखलहुँ आभार अहाँकँ


नै छल बुझल कोनो भी नेह केर त' बोल
मिठ बात बाजब सिखलहुँ आभार अहाँकँ


बेकल त' छी ओनाही जेना कि बताह
धरि मोन मारब सिखलहुँ आभार अहाँकँ


अहिँ टा त' बुझलहुँ मोनक ई हमर हुलास
मधु स्वप्न देखब सिखलहुँ आभार अहाँकँ


राजीव मारल छल बड बेदर्द जगतकँ
संगतिसँ हरषब सिखलहुँ आभार अहाँकँ


221 2222 221 121

@ राजीव रंजन मिश्र 


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