Friday, July 12, 2013

गजल-८५ 

लोकक लेल आइ काल्हि खेलबाक चीज छै भावना
मोजर कोन टूक टूक तोऱबाक चीज छै भावना


ककरा सोह जे बिलमिकँ मोन केर बात टा बुझतए
ठाँमहि ठाँम कोऱि काऱि गाऱबाक चीज छै भावना

एहन बात नै कि दोग दागमे रहल नै मुदा
थाकक थाक आँखि मूनि लादबाक चीज छै भावना

लोकाचार भेल भूत काल केर गप जकर नाम पर
बैसल ठाम लारि चारि टोहबाक चीज छै भावना 

"राजीव"क त' सोच यैह टा सदति सहज बनल मति रहै 
नेना भुटकामे मोन मारि खोजबाक चीज़ छै भावना 

 2221 2121 2121 212 212
@ राजीव रंजन मिश्र 

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