Sunday, July 28, 2013


गजल-९० 

हाड़ मांसकँ बनल पुतली टा थिक मनुख
नाचि नाचिकँ बनल घिरुनी टा थिक मनुख 

आप मोनसँ भने क्यौ हवलदार हो
सत् गप्प त' मुदा टिटही टा थिक मनुख 

जाहि बाटद' चलल चैनक नै छल दरस
आदि कालसँ भसल तखती टा थिक मनुख 

कोन बातकँ बनर भभकी सरकार यौ
थोपि थापिक' मढ़ल पदबी टा थिक मनुख 

लोक बेदसँ त' भरल राजीवक आब हिय 
लाख बान्हि क' चलल धुर छी टा थिक मनुख 

२१२१ ११२ २२२ २१२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

Thursday, July 18, 2013

गजल-८९

दुनियामे क्यौ नै ककरो ऐ ठाम होइत छै
सपने टामे चाहल बस आराम होइत छै

फ़ुइसक ई सभटा खेती जिनगीक थिक बाबू
भाबक नै ऐ ठा कखनो किछु दाम होइत छै 

दरदक मारल लोकक बड इतिहास भेटत नित
मलहम नै ककरो कहियो धरि गाम होइत छै 
  
नेहक नै कोनो मोजर कलिकालमे भेटत
बुझनुक चित मारल सभदिन बदनाम होइत छै


पूरल नै किछु सेहन्ता राजीव धरि मानल 
करनी नै कहियो ककरो बेनाम होइत छै

२२२२ २२२ २२१ २२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र  

गजल-९१  

चान सनक चमकैत ई गोर चेहरा
रूप सजल बिहुँसैत बेजोर चेहरा

ठोढ मधुर रसगर नयन जनि कटार सन
नेह भरल दमकैत पुरजोर चेहरा

मोन हमर कारी घटाटोप राति छल
बनि क' दिया कैलक त' ईजोर चेहरा

नै त' सुनल नै हम कहीँ देख पैल यौ
मोहि रहल हिय केर सभ पोर चेहरा

भासि रहल राजीव नेहाल भेल चित
शोर करै रहि रहि क' निसि भोर चेहरा

2112 221 221 212
@ राजीव रंजन मिश्र 
गजल-८८

पात पात झखऱि रहल अछि आइ देखू गाछसँ
दोग कोण मरल पड़ल नित गाछ खहरल आपसँ

बाट घाट मरल पऱल चहुँ कात देखब ताकि जँ
लोक बेद पुराण छोड़ल नेह तोड़ल गामसँ 

बोल चालि असन बसन चरजाकँ मटियामेट क'
हाब-भाब रहब सहब सभ बोरि लेलक मानसँ

सभ हिसाब किताब जिनगी केर भासल धार द' 
नेह केर त' माप जोखक ढंग भेटत दामसँ 

भोर साँझ कहा सुनी राजीव हारल कानि क'
के सुनत ग' जरब मरब नित मोन टूटल बातसँ

2121 1212 221 22211
@ राजीव रंजन मिश्र 

गजल-८७

गजल-८७ 

हमर कहनाम जे चुप रहब बाजएसँ बढियाँ 
भने मरि जाइ धरि सभ सहब मारएसँ बढियाँ 

कहब की हाल मोनक सुनल सभ सदति उचारल 
बढ़ल छल दुख करेजक मुदा टारएसँ बढियाँ  

बुझल सभदिनसँ दुख देनहारक मरम क' धरि हम
कलपि नित माथ पीटब कि सुधि हारएसँ बढियाँ  

मरब घुटिघुटि क' सदिखन जँ अनकर खराब चाहब 
बचब नित अहिसँ सदिखन त' मुँह बाबएसँ बढियाँ  

कहल राजीव मानब करब नित सभक सराहल 
अपन हिस्सक सुधारब त' गरियाबएसँ बढ़ियाँ   

१२२२१ २२१२ २१२ १२२ 

@ राजीव रंजन मिश्र 

Sunday, July 14, 2013

गजल-८६


गजल-८६ 

ऐना हमरासँ पुछलक देखए किएक छी
घुरि फिरि एना रभसि नित ताकए किएक छी 

हम देखाबी सदति सत रूप टा अहाँक धरि
सत बजला पर हमर मुँह दाबए किएक छी 

नकली श्रृंगार सदिखन थोपने वयन बसन पर
आंगन सरकार झूठक नीपए किएक छी 

चाहब झकझक इजोते दोगे दोग सभ मुदा
अन्हारक गीत सभ मिलि गाबए किएक छी 

राखब चरजाकँ नै सुन्नर विकार भाब तजि
माथा "राजीव" आनक फोड़ए कियेक छी 

२२२२ १२२ २१२ १२१२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

Friday, July 12, 2013

गजल-८५ 

लोकक लेल आइ काल्हि खेलबाक चीज छै भावना
मोजर कोन टूक टूक तोऱबाक चीज छै भावना


ककरा सोह जे बिलमिकँ मोन केर बात टा बुझतए
ठाँमहि ठाँम कोऱि काऱि गाऱबाक चीज छै भावना

एहन बात नै कि दोग दागमे रहल नै मुदा
थाकक थाक आँखि मूनि लादबाक चीज छै भावना

लोकाचार भेल भूत काल केर गप जकर नाम पर
बैसल ठाम लारि चारि टोहबाक चीज छै भावना 

"राजीव"क त' सोच यैह टा सदति सहज बनल मति रहै 
नेना भुटकामे मोन मारि खोजबाक चीज़ छै भावना 

 2221 2121 2121 212 212
@ राजीव रंजन मिश्र 

Wednesday, July 10, 2013

गजल-८४

गजल-८४ 

किछु नै भेटत भसिएलासँ
हासिल सभटा सरिएलासँ

सत जे जानल ऐठम भाय
से चमकल छल कतिएलासँ

ककरा सहजे भेटल बाट
सगरो सदिखन लसिएलासँ

हारल कखनो नै दिन राति
सुधि बुधि टा गहि पजिएलासँ

दुख धन्धी भागत "राजीव"
सभ मिलि सभतरि बतिएलासँ

2222  2221
@ राजीव रंजन मिश्र 

Monday, July 8, 2013

गजल - 83


गजल - 83 

ई जुनि पूछब हुनका पाछू राति गुजारल हम कोना
कुहरल हदरल मारल मोने नेह निमाहल हम कोना 

पाथर रखने दाबल मोने डेग भरल जरनाठी पर
हुनका खातिर बनि बउरहबा दीप पजारल हम कोना 

झाड़ब हुनकर पल्ला सक्कत काँच सनक हिय तन्नुक छल
झखरल मारल खहरल सदिखन स्वप्न सकारल हम कोना 

ओ बेदर्दिक बाते की जे खंड हमर मोनक कैलक
देखल नै घुरि एक्को बेरी बाट निहारल हम कोना 

रहलहुँ सतपथ धैने नित "राजीव" मुदा भेटल किछु नै
घोंकल घाँकल जल छल सगरो हाथ पखारल हम कोना 

२२२२  २२२२ २११२ २२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

Saturday, July 6, 2013

गजल-८२ 

भेटत नै किछु ठहरिकँ जिनगीक बाटमे 
ताकब नै किछु लचरिकँ जिनगीक बाटमे

जीते बा हार हाथ खेलब जँ खेल ई
हासिल नै किछु खहरिकँ जिनगीक बाटमे 

किछु चक्र थिक दैव केर जे डेग डेग पर
बाँचब टा नित रगऱिकँ जिनगीक बाटमे

कानब सदिखन दहो बहो नीक गप्प नै
हारब नै हिय हदरिकँ जिनगीक बाटमे

राखब "राजीव" सोझ मोनक विचार टा
चमकत चन्ना पसरिकँ जिनगीक बाटमे

2222 121 221 212

© राजीव रंजन मिश्र

Tuesday, July 2, 2013

गजल-८१


गजल-८१ 

लिखबाक कला होइ छैक पढबाक कला होइ छैक
मुश्किलसँ मुदा लोक लग त' गमबाक कला होइ छैक

सभतरि त' चलल खींच तान के आब सुनत आन केर
इतिहास कहत वीर मे त' सहबाक कला होइ छैक 

छी लोक बड़ी छोट मोट ई बात मुदा जानि गेल
अहि ठाम किछु लोक टा क' गढ़बाक कला होइ छैक 

कालक त' रहत मार धार बाँचब जँ रहत बानि नीक
सुधि बुधिसँ सचर लोक केर चलबाक कला होइ छैक 

"राजीव" बुझल यैह बात भेटल त' बहुत रास दाम
नै झुकिकँ मुदा माथ टेक रखबाक कला होई छैक 

२२१ १२२१ २१ २२१ १२२१ २१ 

@ राजीव रंजन मिश्र 

Monday, July 1, 2013

गजल- ८०



गजल- ८० 

बिन जरेने हिया ने ईजोर होइत छै 
राति बितला क' बादे टा भोर होइत छै

आँखि फूजल जँ राखब सूझत तखन मीता
कष्ट सहलाक बादे टा तोड़ होइत छै 

बाट काँटे भरल नै कतबो किएक हो
चलिकँ जितबाक स्वादे बेजोड़ होइत छै
  
पानि विर्रों सहब सभटा छाँह रउदक नित  
मोन तपलाक' बादे टा गोर होइत छै

जानि राखब सदति सत "राजीव" ई धरनिक 
नाम किरियाक' बादे टा शोर होइत छै 

२१२२ १२२२ २१२२२ 

@ राजीव रंजन मिश्र