Tuesday, June 25, 2013


गजल-७४

बात चलल जे भाबक सभ गप्प पुरनगर मोन परल
राति दिनक झंझट मे नित गीत मधुरगर मोन परल 

बात उठल छल मजलिस मे नेह सिनेहक नाम जखन
चाह भरल आँखिक ओ करवार चकरगर मोन परल 

मीत कटल दिन कहुना धरि साँझ बड़ी चुपचाप बुझू 
चान चढ़ल बेधल छाती राति रमनगर मोन परल

लोक हिसाबे मय पीयब आँत जरत बुरियाक' मरब
हारि मुदा सदिखन धरि मदपान पियरगर मोन परल 

लोक भला की जानै "राजीव" मरल अपनेसँ हहरि
ताकि घुरल जे पाछू दिलदार चहटगर मोन परल 

२११२  २२२२  २११२२  २११२ 

@ राजीव रंजन मिश्र 

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